केंद्रीय एजेंसी के आंड़कों से खुलासा, भाजपा शासित यूपी-हरियाणा बढ़ा रहे दिल्ली में वायु प्रदूषण- जस्मीन शाह
– पूरे भारत में केवल ‘‘आप’’ की दिल्ली-पंजाब की सरकारें प्रदूषण कम करके जनता को राहत दिला रही हैं, बाकी सभी सोई हुई हैं- जस्मीन शाह
– पिछले साल के मुकाबले एक से 14 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 27 फीसद की कमी आई, जबकि भाजपा शासित यूपी-हरियाणा में इसके मामले बढ़े हैं- जस्मीन शाह
– दिल्ली में अपना प्रदूषण केवल एक तिहाई है, दो तिहाई प्रदूषण भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आता है- जस्मीन शाह
– ‘‘आप’’ सरकार ने दिल्ली को 24 घंटे बिजली के साथ दो हजार ई-बसें दी, लेकिन हरियाणा और यूपी सरकार ने इस पर कोई कदम नहीं उठाए- जस्मीन शाह
– हरियाणा-उत्तर प्रदेश सरकार की प्रदूषण कम करने में रूचि नहीं, इसलिए धूल प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली की तरह कोई प्लान नहीं बनाया है- जस्मीन शाह
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2024
सर्दियों के मौसम में दिल्ली में बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के पीछे असली कारण पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश हैं। यह खुलासा केंद्र सरकार की एजेंसी इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के जारी आंकड़ों से हुआ है। वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने कहा कि पूरे भारत में केवल ‘‘आप’’ की दिल्ली-पंजाब की सरकारें ही प्रदूषण कम करके जनता को राहत दिला रही हैं, बाकी सभी सरकारें सो रही हैं। खासकर दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारें प्रदूषण को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं। उन्होंने आंकड़े रखते हुए कहा कि पिछले साल के मुकाबले एक से 14 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 27 फीसद की कमी आई है, जबकि हरियाणा में 23 और उत्तर प्रदेश में 71 फीसद की वृद्धि हुई है। भाजपा हरियाणा और यूपी में प्रदूषण कम करने को लेकर मंभीर नहीं है। इसलिए उसने धूल प्रदूषण को कम करने के लिए भी दिल्ली की तरह कोई विंटर एक्शन प्लान नहीं बनाया है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि पूरे भारत में केवल अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में काम रही आम आदमी पार्टी की दिल्ली और पंजाब की सरकारें ही जनता को प्रदूषण से राहत दिला रही हैं। पिछले तीन दिनों से दिल्ली का एक्यूआई 200 को पार कर गया है। जोकि खराब श्रेणी है। इसका एक मुख्य कारण पराली है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने के कारण उसका प्रदूषण दिल्ली में आता है। केंद्र सरकार की एजेंसी इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों से दिल्ली में पराली के वजह से होने वाले प्रदूषण का असली कारण पता चल रहा है। इस रिपोर्ट से यह भी पता चल रहा है कि पराली के मुद्दे पर कौन सी राज्य सरकार लगातार काम कर रहा है और पराली जलाने की घटनाओं को कम कर रही है।
जस्मीन शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) के 1 से 14 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में पंजाब में 1105 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं। लेकिन 2024 में ये घटनाएं घटकर 811 हो गई हैं। यानी पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं में करीब 27 फीसद की गिरावट आई है। वहीं, हरियाणा में 2023 में 1 से 14 अक्टूबर के बीच 341 पराली जलाए जाने की घटनाएं हुई थीं, जो इस साल इसी समय सीमा में बढ़कर 417 हो गईं। यानी हरियाणा में पराली जलाए जाने की घटनाओं में करीब 23 फीसद की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में पिछले साल 1 अक्टूबर से 14 अक्टूबर के बीच पराली जलाए जाने की 244 घटनाएं हुई थीं, जो इस साल बढ़कर 417 हो गई हैं। यानी पराली की घटनाएं 71 फीसद बढ़ी हैं। जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, वहां पराली जलाए जाने की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं।
जस्मीन शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2021 में पंजाब में 71300 पराली जलाए जाने की घटनाएं पाई गई थीं। पंजाब के इतिहास में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा था। उस वक्त वहां आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी। पंजाब में ‘‘आप’’ की सरकार 2022 में आई और पिछले दो सालों में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए काफी काम किया है। इसका नतीजा ये हुआ कि 2023 में पराली जलाने की घटनाएं कम होकर 36,600 हो गईं। यानि कि केवल दो सालों में कुल 50 प्रतिशत की कमी आई है। लेकिन इस साल पंजाब में 25-27 प्रतिशत पराली जलाए जाने की घटनाएं और कम होंगी। इसलिए किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि पराली के मुद्दे पर कौन सी सरकार है जो युद्धस्तर पर व निरंतर काम कर रही है और कौन सी सरकार है जो सिर्फ चैन की नींद सोेने और आम आदमी पार्टी व उसके नेताओं को गाली देने का काम कर रही है।
जस्मीन शाह ने आगे कहा कि पराली केवल एकमात्र मुद्दा नहीं है जिससे दिल्ली में प्रदूषण आता है। केंद्र सरकार की एजेंसी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के डेटा के मुताबिक, दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसमें से केवल एक तिहाई दिल्ली के अंदर उत्पन्न होता है। दो तिहाई प्रदूषण दिल्ली के बाहरी राज्यों से आता है, जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं। इसलिए केवल दिल्ली में काम करने से दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं होगा। इसके लिए केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार को भी काम करना होगा। लेकिन अगर पिछले 10 साल का इतिहास देखा जाए तो केवल दिल्ली सरकार इस पर निरंतर काम कर रही है।
जस्मीन शाह ने कहा कि पिछले दस सालों में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कई काम किए हैं। सरकार ने दिल्ली में 2000 के करीब इलेक्ट्रिक बसें चलाई, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। डीजल की बसों से भारी मात्रा में प्रदूषण होता है। लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या शून्य है। दूसरा है, थर्मल पावर प्लांट। केवल दिल्ली की सरकार है जिसने प्रदूषण के कारण अपने सारे थर्मल पावर प्लांट बंद कर दिए हैं। जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। वहीं, 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने का काम केवल दिल्ली सरकार ने किया है। जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ऐसी कोई भी बड़ी सोसायटी नहीं है जो डीजी बैकअप के बिना नहीं चलती है। इन राज्यों में कई ऐसी सोसायटी भी हैं जो 24 घंटे डीजल जनरेटर से चल रही हैं। वहां पर 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है।
उन्होंने निर्माण के मुद्दे पर कहा कि तमाम सरकार की रिपोर्टें कहती हैं कि करीबन एक तिहाई प्रदूषण कंट्रक्शन से आता है। इसे लेकर मंगलवार को ही आम आदमी पार्टी की मुख्यमंत्री आतिशी और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पूरा एक प्लान शेयर किया है। जिसमें बताया गया है कि दिल्ली की सड़कों पर कुल 99 टीमें कंट्रक्शन डस्ट और कंट्रक्शन रूल को लागू करने के लिए दिन रात तैनात हैं। भाजपा बताए कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कंट्रक्शन डस्ट और कंट्रक्शन रूल का पालन सुनिश्चित करने के लिए कितनी टीमें सड़कों पर तैनात हैं? इसकी कोई सूचना नहीं है। जबकि आप के पर्यावरण मंत्री गोपल राय ने दिल्ली के लिए कुछ हफ्तों पहले 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान जारी किया है। यानि कि प्रदूषण का सीजन आने से पहले दिल्ली की सरकार ने पूरी तरह से अपनी कमर कस ली है। दिल्ली सरकार पूरी तरह से तैयार है। लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश का हाल देख लीजिए। उनका ना तो कोई विंटर एक्शन प्लान आया है और ना ही प्रदूषण कम करने के लिए कोई ठोस कदम उठा रहे हैं। उनका प्रदूषण कम करने का कोई इरादा नहीं है।
जैसमीन शाह ने आगे कहा कि इससे साफ हो जाता है कि केवल आम आदमी पार्टी की सरकारें हैं जो प्रदूषण के मुद्दे पर आक्रमक है और युद्धस्तर पर काम कर रही है। और जहां-जहां भाजपा की सरकार है, चाहे वो केंद्र की सरकार हो, वहां कोई काम नहीं हो रहा है।