दिल्ली चुनाव में जीत के बाद कोलकाता में भाजपा के उत्साहपूर्ण प्रदर्शन पर तृणमूल ने प्रतिक्रिया दी
बेबी चक्रवर्ती: हुगली:- दिल्ली में ढाई दशक से अधिक समय के बाद कमल के फूल खिले। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को हराकर भाजपा अब देश के ‘दिल’ पर राज कर रही है। और बंगाल भाजपा भी इन नतीजों को देखकर उत्साहित है। 2026 में बंगाल में बदलाव होगा, तृणमूल की जगह भगवा खेमा राज्य की सत्ता में आएगा, ऐसा भरोसा शुवेंदु अधिकारी-सुकांत मजूमदार को है। हालांकि, तृणमूल के राज्य महासचिवों में से एक कुणाल घोष ने उनके दावे का खंडन किया है। उनका स्पष्ट कहना है कि दिल्ली चुनाव के नतीजों का बंगाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव से ही भाजपा ने बंगाल में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। भगवा खेमे ने 2018 के पंचायत चुनावों में भी उल्लेखनीय वोट हासिल किए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल से 18 सांसद जीते थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में “अबकी बार दो सौ पार” का नारा लगाने के बावजूद उन्हें सिर्फ 77 पर ही रुकना पड़ा। तब से दिलीप-सुकांत-शुभेंदु की टीम धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। चुनावों में कड़ी चुनौती का सामना करने के बजाय तृणमूल कांग्रेस गुटीय संघर्षों में उलझती जा रही है। नये बनाम पुराने के संघर्ष में भाजपा पराजित हो गयी है। सांसद और विधायक सहित निर्वाचित प्रतिनिधि भी पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने बंगाल भाजपा को मजबूत करने के लिए ‘होम टास्क’ दिया।
