सुप्रीम कोर्ट
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टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है, जिसमें जांच एजेंसियों को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का आदेश दिया गया था। हालांकि ये रोक अगली सुनवाई तक लगाई गई है और सुप्रीम कोर्ट 24 अप्रैल को इस मामले में फिर सुनवाई करेगा। पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर अभिषेक बनर्जी से पूछताछ होनी है।
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर लगाया स्टे
बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल जज वाली पीठ ने शिक्षक भर्ती घोटाले में जांच एजेंसियों से अभिषेक बनर्जी और कुंतल घोष से पूछताछ करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस मामले में जांच एजेंसियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है।
सीबीआई, ईडी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर भी स्टे
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को दिए अपने आदेश में पश्चिम बंगाल पुलिस को शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर भी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश में केंद्रीय जांच एजेंसियों से राज्य के टीएमसी नेताओं की भूमिका की जांच करने के लिए कहा गया था। टीएमसी नेताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 की भर्ती प्रक्रिया के तहत शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती की गईं। आरोप है कि पैसे लेकर उम्मीदवारों का चयन किया गया। इस मामले में सीबीआई ने टीएमसी विधायक जीवन कृष्ण साहा को गिरफ्तार किया है। पश्चिम बंगाल सरकार और उसकी मदद से संचालित स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओ का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता कुंतल घोष और अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम बापू की याचिका पर एक आईपीएस अधिकारी को समन जारी बयान दर्ज करने का निर्देश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया है। बता दें कि निचली अदालत ने साल 2018 में आसाराम बापू को जोधपुर स्थित आश्रम में नाबालिग से बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आसाराम बापू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पीड़िता ने जो क्राइम सीन के बारे में जानकारी दी है, वह आईपीएस अधिकारी की एक वीडियो से प्रेरित है, जो उन्होंने जोधपुर में तैनाती के दौरान शूट की थी। याचिका में कहा गया कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में आसाराम की कुटिया के बारे में वीडियो से अतिरिक्त कोई अन्य जानकारी नहीं दी है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने आईपीएस अधिकारी को समन जारी किया था।